कहानी संवेदनहीनता की - विक्षिप्त बेटे को लेकर दरवदर भटक रही वृद्धा की फरियाद सुनने वाला कोई नहीं.?


सुनहरा संसार 


मप्र। ग्वालियर के सबसे बड़े जेएएच अस्पताल में एक वृद्ध महिला अपने मानसिक रूप से बीमार बच्चे को लेकर पिछले 15 दिनों से अस्पताल परिसर में पड़ी है, लेकिन उसकी फरियाद सुनने की किसी को फुर्सत ही नहीं है।


दरअसल भांडेर निवासी बतीबाई का बेटा छोटू दो साल पहले तक पूरी तरह स्वस्थ था लेकिन उसके बाद उसे दौड़े पड़ने लगे। छोटू की विक्षिप्त हरकतों को देखकर घर के अन्य लोगों ने उससे किनारा कर लिया, मगर मां तो मां होती है। वह अपने बीमार बेटे को ठीक करने की आस में महज 1000 रुपये लेकर ग्वालियर आई। यहां जेएएच के बरिष्ठ न्यूरो सर्जन डॉक्टर अयंगर को 500 रुपये फीस देकर दिखाया भी लेकिन डॉक्टर साहब ने दबा लिखकर उसे चलता कर दिया।

 अपने बीमार बेटे का बोझ कांधे पर ढो रही दुखयारी मां की पीड़ा है कि बच्चे की इस हालत की वजह से घर पर अन्य लोग छोटू को रखना नहीं चाहते और डॉक्टर उसकी पीड़ा को समझकर भर्ती नहीं कर रहे पैसे हैं नहीं कि प्राइवेट इलाज करवा ले। उसका कहना है कि जिस बेटे को मैंने अपना खून पिलाकर पाला उसे एक मां का ह्दय मरने या सड़कों पर भटकने के लिए कैसे छोड़ सकता है।