सियासी उठापटक में अधिकारियों का चौसर की गोटी की तरह स्तैमाल कहां तक उचित.!


सुनहरा संसार 


मप्र की सियासी उठापटक के बीच हाल ही में बदले गए गुना कलेक्टर भास्कर लक्षकार ने जिले को मिले ISO अवॉर्ड के लिए जिला प्रशासन एवं नागरिकों को धन्यवाद प्रेशित करते हुए कहा कि यह एक उदाहरण है अनेक उपलब्धियों में से एक का, जो टीम भावना से अर्जित किया गया, जिसमें स्थानांतरण की पीड़ा साफ झलकती है । 

 

प्रशासनिक सेवा में रहते हुए लेखन और कार्यशैली से हमेशा चर्चा में रहने वाले निवर्तमान गुना कलेक्टर भास्कर लक्षकार ने अपनी फेसबुक पर जाते-जाते गुना जिले को मिले ISO अवॉर्ड को लेकर एक दिन पहले पोस्ट शेयर की। सीधे तौर पर देखा जाए तो उन्होंने अपनी पोस्ट के जरिए जनता के स्नेह और टीम भावना से किए गए कार्यों के लिए सभी का आभार व्यक्त किया है। लेकिन उन्होंने पोस्ट में 15 महीने के कार्यकाल में सफलता का जिक्र किया है, जो कहीं न कहीं सियासी चौसर के चलते स्थानांतरण से प्रशासनिक अधिकारियों की पीड़ा को व्यक्त करता ज्यादा दिखाई देता है। 


उन्होंने लिखा है " गुना में 14 महीने काम करने के बाद, ट्रांसफर मंत्रालय भोपाल हुआ है। गुणियों से भरपूर गुना जिला जहां जाते जाते गुना के कलेक्टर कार्यालय और समस्त तहसील व sdm कार्यालयों को ISO प्रमाणपत्र कल शाम प्राप्त हुआ है। यह एक उदाहरण है उन अनेक उपलब्धियों में से एक का, जो गुना की टीम ने अर्जित कीं। गुना की सिविल सोसाइटी और शानदार नागरिक जिन्होंने सरकारी कामों को असरकारी बना दिया और अभियान के रूप में बदल दिया। टीम गुना जिसमें मेरे शासकीय साथियों से लेकर गुना के आम नागरिक सब शामिल हैं, उनको वन्दन। आप सब को शुक्रिया मौका देने का। मिलेंगे, मिलते रहेंगे। 

दरअसल उनका स्थानांतरण 15 महीने में केवल इसलिए किया गया कि वे ज्योतिरादित्य सिंधिया की पसंद माने जाते थे। जबकि सिंधिया खेमे की ही मंत्री इमरती देवी जो अब से पहले तक गुना प्रभारी मंत्री भी थीं, उन्होंने गुना जाना इसलिए छोड़ दिया था कि अधिकारी उनकी सुनते नहीं हैं। इस बात का जिक्र उन्होंने मीडिया के सामने भी किया था। ऐसे में सवाल उठता है कि जो अधिकारी तन्मयता के साथ अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन करता है, उसे सियासी चौसर की गोटी की तरह स्तैमाल किया जाना कहां तक उचित है।