दर्शकों की आंखों का तारा आसमान में डूबा


सुनहरा संसार


                         "विन्रम श्रंद्धाजलि "


 


   करोड़ों फिल्म दर्शकों की आंखों का तारा और राजस्थान के टोंक नबावी खानदान से ताल्लुकात रखने प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक व अभिनेता शाहबजादे इरफान अली खान का आज बुधवार को तड़के मुम्बई में इंतकाल हो गया! बहुत कम समय में लाखों करोड़ों फिल्म दर्शकों के दिलों में राज करने वाले इरफान को आंतों के संक्रमण के कारण दो दिन पूर्व ही मुम्बई के कोकिलाबेन अस्पताल भर्ती कराया गया था, जहां आज उन्होने अंतिम सांस ली |


इरफान इंतकाल की खबर आम होते ही हाॅलीबुड व मुम्बई वाॅलीबुड शोक में डूब गया जबकि उनकी सलामती की लगातार दुआएं कर रहे करोड़ों दर्शक गम में डूब गये | अपनी बुंलद आवाज और दिल कशी आंखों के बल पर फिल्मी दुनिया में अपना अलग ही मुकाम बना लेने वाले और लीक से हटकर फिल्में करने की वजह से इरफान काफी मशहूर हो गया थे | इसको भी खुदा की मर्जी कहा और माना जा सकता है कि उनके इंतकाल से मात्र चार दिन पहले और रमजान का महिना शुरु होने के महज एक दिन पूर्व 25 अप्रैल को  उनकी बाट जोह रहीं 95 वर्षीय अम्मी साईदा बेगम बेटे से मिलने की चाह दिल में ही लेकर इस दुनिया से फना हो गई | जबकि अपनी नासाज तबियत और लाॅक-डाऊन के कारण उनकी अंतिम रस्म में हिस्सा न लेने वाले इरफान को भी क्या मालूम था कि वे खुद इस दुनिया से मात्र चार दिन बाद मां की तरह रुखसत हो जायेंगे |


फिल्मों में अपनी अदाकारी और करेक्टर में जान डाल देने वाले इरफान के बारे में कहा जा सकता है कि वाकई में अपनी हिट फिल्म "मकबूल" की तरह वे फिल्म जगत के मकबूल (मान्य और सर्वप्रिय) थे | 2018 में इरफान को अपने कैंसर होने के पता चला तो उन्होने विदेश में जाकर कैंसर से लड़ाई लडी़ और जीत भी गये थे |



उन्होने 2019 में फिल्म इन्डीस्ट्रीज में वापिसी करते हुये अपनी आखरी फिल्म "अंग्रेज़ी मीडियम" बनाई जो पिछले महिने  13 मार्च को रिलीज हुई थी, मगर कोरोना वायरस के कारण दो दिन बाद ही देश में सभी सिनेमा घरों को बंद कर दिया गया था, जिससे फिल्म ज्यादा कुछ धमाल नही मचा पाई। 


7 जनवरी 1967 में राजस्थान की राजधानी जयपुर में जन्मे इरफान खान ने तकरीबन तीन दर्जन हिंदी फिल्मों और कई अंग्रेजी फिल्मों काम किया है! जबकि अंग्रेजी फिल्मों में बुंलद रोल अदा कर विदेशों में भी देश का नाम रोशन किया है | अपने फिल्मी सफर में इरफान खान ने शुरु में टीवी शो चाणक्य, भारत एक खोज, और चन्द्रकांता जैसे विख्यात सीरियलों में काम किया,मगर वे अपना कोई खास मुकाम नहीं बना पाये! इसी बीच प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक मीरा नायर ने उन्हें पहली मर्तबा सन् 1988 में सलाम बाॅम्बे में काम करने का मौका दिया |


फिल्म देश-विदेशों काफी सफल और लोकप्रिय रही,मोंटियल फिल्म समारोह में "सलाम बाॅम्बे " को सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय फिल्म का पुरुष्कार प्राप्त हुआ! भारत की और से इस फिल्म को आॅस्कर पुरुष्कारों के लिए देश की आधिकारिक प्रविष्टी के लिए चुना गया और यह "मदर इन्डिया" के बाद विदेशी भाषा की सर्वश्रेष्ठ फिल्म के नामांकित होने वाली दूसरी फिल्म बनी , मगर इस फिल्म में इरफान का  रोल काफी छोटा था, लेकिन ये फिल्म उनके फिल्म इन्डीस्ट्रीज में होने का अहसास करा गई! "मकबूल" वो फिल्म थी जिसकी मेहनती इरफान को काफी अरसे से तलाश थी,इसके साथ ही वे फिल्मी दुनिया के "मकबूल" हो गये , इसके बाद उन्होने और उनकी कला ने पीछा देखने के लिए गंवारा नहीं किया , रोग,लाईफ अ मेट्रो, स्लमडाॅग, मिलेनियर, पान सिंह तोमर, द लाॅच बाक्स जैसी हिट फिल्में देश और विदेशों की दीं |


सन् 2004 में  उन्हें सर्वश्रेष्ठ खलनायक का राष्ट्रीय पुरुष्कार मिला तो 2012 में चंबल के चर्चित वागी आधारित फिल्म पान सिंह तोमर के सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरुष्कार प्राप्त हुआ |


हंसमुख और हरफनमौला अभिनेता इरफान खान को सन् 2011 में राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने पदमश्री से नवाजा! ऐसा अभिनेता जिस पर फिल्म जगत के किसी गाॅड फादर का हाथ या बिल्ला नहीं था, बावजूद इसके उसने अपने आपको हिंदी फिल्मों के साथ-साथ अंग्रेजी फिल्मों में भी स्थापित किया, उनके अचानक चले जाने से एक बड़ा शून्य तो पैदा हो ही जाता है! सलाम इरफान! सलाम इरफान !!