कोरोना संकट में डगमाता चौथा स्तम्भ, छीन ली कई पत्रकारों की जिंदगियां


सुनहरा संसार 


ब्रजेश तोमर 


ग्वालियर/शिवपुरी)-- कोरोना संक्रमण काल में पत्रकारिता जगत संक्रमण और सरकारी उपेक्षा से बुरी तरह जूझ रहा है। कहने में कोई हर्ज नहीं है कि देश का चौथा स्तम्भ पूरी तरह लड़खड़ाने के कगार पर आ गया मगर अब तक न तो केंद्र सरकार और न प्रदेश सरकार ने संकट से जूझ रहे इस स्तंभ को सहारा देने की कोशिश की। 


कोरोना महामारी के दौर में कोरोना योद्धा के रूप में मीडियाकर्मी भी जान का जोखिम लेकर प्रतिदिन अपना फर्ज निभा रहे हैं। इन विषम परिस्थितियों में भी पत्रकार विभिन्न सूचनायें एवं समाचार आम जनता तक पहुॅंचा रहे हैं। लेकिन मीडियाकर्मियों को कोरोना बचाव के लिये आवश्यक उपकरण, स्वास्थ्य बीमा और आर्थिक सहयोग जैसी उनकी माँगों को अनसुना किया जा रहा है।


कोरोना ने पत्रकारों की जिंदगी छीन ली भोपाल से दुखद खबरों का आना जारी है। नवदुनिया के पत्रकार शिराज हाशमी का आज कोरोना से निधन का दुःखद समाचार मिला इससे पहले नवदुनिया भोपाल के मार्केटिंग विभाग के जसवंत बंसल का कोरोना से निधन होने की सूचना मिली। कोरोना महामारी की चपेट में आकर नईदुनिया अखबार के प्रबंध संपादक राजेन्द्र तिवारी का निधन हो गया है। मध्यप्रदेश पत्रकार संघ उनके चरणों में श्रद्धासुमन अर्पित करता है। ईश्वर से प्रार्थना करता है। कि उनकी आत्मा को शांति दें और उनके परिजनों को इस वज्रपात को सहने की शक्ति प्रदान करें। ये खबरें आँखें खोल देने वाली हैं ।लेकिन पत्रकारों को सहयोग की अपेक्षाओं पर सरकारी रवैया निराश करने वाला है । मध्यप्रदेश पत्रकार संघ ने राज्य सरकार से मांग की है, कि वह पत्रकारों को भी कोरोना योद्धा की संज्ञा दें।


वैश्विक संकट काल में मीडिया ने अपनी जिम्मेदारी निभाई है। वे भी कोरोना से लड़ने वाले योद्घा हैं। इस समय किसी पत्रकार की मृत्यु हो जाती है तो उसके परिजनों को सहयोग राशि के रूप में एक करोड़ देना चाहिए। पत्रकारों के बारे में सरकार को सोचना चाहिए। मध्यप्रदेश पत्रकार संघ के अध्यक्ष सुरेंद्र माथुर,संस्थापक महासचिव राजेश शर्मा,प्रदेश उपाध्यक्ष बृजेश तोमर ने संयुक्त रूप से कहा कि इन परिस्थितियों में रिर्पोटिंग कर रहे पत्रकारों को संक्रमण का खतरा होने के बावजूद भी पत्रकार अपनी भूमिका पूरी निष्ठा से निभा रहे हैं। भोपाल के एक संस्थान में 40 लोग कोरोना पॉजिटिव हो चुके है,आफिस सील हो गया है।एडिटर व डिप्टी एडिटर की नोकरी चली गयी ।गवालिर के संस्थानों में दर्जन भर से अधिक पत्रकार कोरोना संक्रमित हो चुके है।ऐसे में केवल पत्रकारिता पर जीवन यापन करने वाले पत्रकारों की हालत तो दिहाड़ी मजदूरों से भी अधिक खराब है। कोरोना महामारी में पूर्णकालिक पत्रकारों के सामने दोनों ओर से परेशानी है। बेहद कम वेतन पर नौकरी कर रहे पत्रकारों के एक समूह को घर से बाहर निकलकर रिर्पोटिंग करने पर वायरस संक्रमण से खतरा है, तो दूसरी ओर सोशल डिस्टेंसिंग के नाम पर घर बिठा दिये गये बहुत से पत्रकारों को छटनी का डर सता रहा है। इस समय छोटे अखबार और चैनल भी आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। आने वाले दिनों में बाजार में पूरी तरह मंदी हावी होने के आसार हैं। ऐसे मेंकोरोना वायरस के समाप्त होने तक कई छोटे-मझोले अखबार और चैनल दम तोड़ दें, तो आश्चर्य की बात नहीं होगी। ऐसे में पत्रकारों के सामने जीवन और कैरियर सुरक्षा को लेकर कोरोना से भी बड़ी चिंतायें हैं । केन्द्र एवं प्रदेश सरकारों द्वारा कोरोना योद्धा तमगे के बावजूद पत्रकारों को बीमा सुरक्षा और आर्थिक सहयोग नहीं मिल रहा है, जिसकी उन्हे सख्त दरकार है ।