परिवहन विभाग मनमानी का अड्डा, मुख्यालय में अटेच चेकपोस्ट पर तफरी ?


सुनहरा संसार 


  निरंकुशता की हद! 


मध्यप्रदेश परिवहन विभाग के माथे पर लगे बदनामी और भ्रष्टाचार के दाग को मिटाने के लिए प्रदेश सरकार ने सालों बाद विभाग में ऐसे अधिकारियों को बिठाया है , जिनसे सुधार की उम्मीद की जा सकती है लेकिन मुख्यालय में अटेच परिवहन आरक्षकों का चिरूला बेरियर पर होना और वीडियो वायरल के बाद भी कोई कार्रवाई न होना कई सवालों को जन्म देता है!


प्राप्त जानकारी के अनुसार मुख्यालय में अटेच आरक्षक सौरभ शर्मा का एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें वह और उनका एक साथी 31 जुलाई को रिटायर हुए चिरूला चेकपोस्ट प्रभारी सुरेश शर्मा को फूल माला पहना कर विदाई दे रहे हैं। खबर तो यहां तक है कि सत्ता संगठन से जुड़े लोगों ने अधिकारियों के समक्ष आपत्ति जताते हुए इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए कहा लेकिन खबर लिखे जाने तक विभाग की तरफ से कोई कदम नहीं उठाया गया।


इधर विभाग में खबर जोरों पर है कि चाचा के कृपा पात्र भतीजे का विभाग में रुतबा इस कदर व्याप्त है कि आरटीआई लेवल के अधिकारी तो उसकी जी हुजूरी में रहते हैं, वहीं बरिष्ठ अधिकारी चाचा के इशारों पर!


पिछले काफी समय से विभाग में चर्चा है कि भतीजा नोकरी करने के बजाय बेरियरों से उगाही के लिए हर माह की 25 तारीख को निकलता है, जिसे विभाग में बैठे आला अधिकारी भलीभांति जानते हैं मगर न जाने क्यों कार्रवाई करने से कतराते है। चूंकि अब आवाज संगठन स्तर से उठी है तो दूर तलक जायेगी।


यकीनन मुठ्ठी भर लोगों के कारण हो रही विभाग की छीछालेदर से विभाग को बचाना अधिकारियों के लिए टेढ़ी खीर साबित होगा लेकिन इस बार प्रशासन ने जिस तरह से परिवहन आयुक्त और उपायुक्त को नियुक्त किया है उससे कुछ सुधार की उम्मीद तो जरूर की जा सकती है, बशर्ते बाबू के मकड़जाल से बचे रहें !


                दूरी से बेचेन बाबू


हर हथकंडा अपनाने में माहिर विभाग के रंगीले बाबू के बारे में ताजा जानकारी मिल रही है कि वर्तमान परिवहन आयुक्त उन्हें घास नहीं डाल रहे और टीसी से दूरी बाबू को रास नहीं आ रही, लिहाजा उन्होंने सिंधिया के नजदीकी पूर्व अधिकारी के माध्यम से सिंधिया तक एप्रोच लगाने की जुगत भी लगाई है जिसमें धन्नासेठ बाबू ने 50 खोखे तक की पेशकश कर दी है लेकिन फिलहाल सफलता नहीं मिली है। वहीं दूसरी तरफ पुराने हमप्याला रहे साहब के द्वारा भी सिफारिश करा रहे हैं। अब देखना यह है कि बेदाग छबि के सिंधिया समर्थित आयुक्त का रुख आने वाले समय में क्या रंग दिखाता है।