वेलेंटाइन डे विशेष - ग्वालियर ने पेश की अनूठी मिशाल


सुनहरा संसार 


फरवरी माह की 14 तारीख को प्रेम के प्रतीक जर्मन सेनिक वेलेंटाइन की याद में दुनिया भर में प्रेम दिवस के रूप में मनाया जाता है। परंतु क्या वेलेंटाइन का दुनिया के लिए बस यही संदेश था, जो हम सब देख रहे हैं। बल्कि वेलेंटाइन का सच तो यह है कि प्रेम अर्थात स्नेह को किसी दायरे तक सीमित नहीं किया जा सकता है। 

 

मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले में प्रशासन ने अनूठे तरीके से वेलेंटाइंस डे  मनाकर लोगों के सामने बहुत हद तक संत वेलेंटाइन की सोच को सार्थक किया है और इसका श्रेय जाता है जिले के युवा कलेक्टर अनुराग चौधरी को। जिन्होंने कलेक्ट्रेट भवन में मातृ- पितृ पूजन दिवस के रूप में मनाकर वेलेंटाइन की वास्तविक भावनाओं को जीवंत कर दिया। इस अवसर पर वरिष्ठ नागरिकों  की पूजा की गयी तथा उनकी समस्याएं सुनीं और मौके पर ही निराकरण किया गया। जिंदगी के अंतिम पड़ाव पर इतना प्रेम और स्नेह पाकर धुंधलाई आंखों में भी प्रेम की चमक साफ देखी जा सकती थी। दरअसल एक महीने पहले ग्वालियर जिला कलेक्टर ने बुजुर्ग पंचायत बुलाई थी। इसमें ऐसे बुजुर्गों को बुलाया गया था जो या तो अपने परिवार द्वारा प्रताड़ित किए जा रहे हैं या फिर उन्हें पात्र होते हुए भी सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इस महापंचायत के माध्यम से बुजुर्गों की समस्याएं हल करने का प्रयास किया गया था। इसके साथ ही जो बच्चे अपने माता-पिता को अपने साथ नहीं रख रहे थे या परेशान कर रहे थे, ऐसे बच्चों को बुलाकर समझाया गया था। हैरत की बात है कि जिन मां-बाप ने बिना किसी लालच के खुद कष्ट सहे मगर तुम्हें निष्कंटक भविष्य देने के लिए जीवन खपा दिया मगर अब जब वह जिंदगी के अतिंम समय पर हैं तो उन्हें उनके खून से जलालत मिल रही है । इन्हीं सब बिंदुओं को आधार बनाकर कलेक्टर अनुराग चौधरी ने वेलेंटाइन की भावनाओं के अनुरूप प्रेम की सच्ची मिशाल कायम की, क्योंकि समर्पण और त्याग का ही वास्तविक रूप प्रेम है।

वेलेंटाइन के बारे में बताया जाता  है कि रोम का राजा  सैनिकों के विवाह के खिलाफ था। उसका माानन था कि शादी शुदा सिपाही को हर वक्त चिंता लगी रहती है की उसके मर जाने के बाद उसके परिवार का क्या होगा, जिसकी वजह से वो जंग में अपना पूरा ध्यान नहीं दे पाता। यही सोच कर राजा Claudius ने ऐलान किया की उसके राज्य का कोई भी सिपाही शादी नहीं करेगा और जिस किसी ने भी उसके  आदेश का उलंघन किया उसे कड़ी सजा दी जाएगी। लेकिन रोम के संत कहे जाने वाले वेलेंटाइन ने राजा से छुपकर युवा सिपाहियों को शादी और सुरक्षा में मदद की। लेकिन कुछ समय बाद राजा को पता चल गया और राजा ने वेलेंटाइन को सजा-ए-मौत की सजा सुना दी।

इसी दौरान एक दिन उनके पास जेलर अपनी बच्ची की आंखों की समस्या लेकर वेलेंटाइन से मिलने आया, लोगों का मानना था कि वेलेंटाइन  दिव्य शक्ति  से लोगो को रोगों से मुक्ति दिला सकता था। ऐसा कहा जाता है कि वेलेंटाइन की वजह से जेलर की अंधी बेटी देखने लगी। इसके बाद उन दोनों में गहरी दोस्ती और फिर प्यार हो गया। वहीं जब फांसी का दिन आया तो वेलेंटाइन ने जेलर को बुलाकर एक कागज पर उसकी बेटी के लिए अलविदा संदेश लिखा। पन्ने के आखिर में उसने “तुम्हारा valentine” लिखा था, ये वो लफ्ज हैं जिसे आज भी लोग याद करते हैं। वास्तव में वेलेंटाइन की कहानी प्रेमी और प्रेमिका तक सीमित न रहकर समाज को प्रेम, समर्पण, त्याग और विश्वास का संदेश देना है, जिसकी आज वास्तविक जरूरत है लेकिन लोगों ने इसे अपने हिसाब से एक अलग ही रूप दे दिया।