विकास के नाम पर पर्यावरण से खिलवाड़ - सीमेंट के जंगल की खातिर हरियाली की बलि

एक वृक्ष 100 पुत्र समान, सरकारी नारा बना मजाक


सुनहरा संसार - 


ग्वालियर मप्र । एक तरफ खत्म होती हरियाली और चिंताजनक प्रदूषण को लेकर प्रतिवर्ष लाखों पौधे रोपे और रुपवाए जाकर हरियाली बिखेरने की रस्में निभाई जाती है, वहीं दूसरी तरफ शहर के बीच फेली सघन हरियाली को विकास के नाम पर नष्ट कर दिया गया । जी हां ठाटीपुर सिविल डिस्पेंसरी के पीछे सीमेंट का जंगल (कर्मचारी आवास) खड़ा करने के लिए 20 साल पुराने हरे-भरे जंगल को प्रशासन ने बड़ी बेरहमी से उजाड़ दिया।

 प्राप्त जानकारी के मुताबिक विधायक मुन्नालाल गोयल ठाटीपुर सिविल डिस्पेंसरी का विस्तार करके तीस बिस्तर वाले अस्पताल के रूप में विकसित कराने जा रहे हैं, लिहाजा डाक्टरों के लिए आवास भी यहीं तैयार किए जाएंगे। बताया जाता है कि शुरु में निरीक्षण के दौरान विधायक गोयल और अधिकारियों ने क्षेत्रीय लोगों एवं पर्यावरण प्रेमियों को आश्वासन दिया था कि हॉस्पिटल के पीछे पीडब्ल्यूडी के क्वार्टरों की तरफ खाली जमीन को ही उपयोग में लिया जाएगा। लेकिन बाद में ठैकेदार द्वारा जेसीबी मशीन ला कर 20 से 50 साल पुराने वृक्षों को धराशायी कर दिया।

गौरतलब है कि साल 2002 में हरित द्वार योजना के अंतर्गत शहर के बीच में पर्यावरण को संरक्षित रखने के लिए 3 बीघा भूमि पर सघन रूप से देशी पौधे रौपे गए थे। उस समय भी मध्यप्रदेश में कांग्रेस की ही सरकार थी, और तत्कालीन कैबिनेट मंत्री श्रवण कुमार पटेल तथा वर्तमान में केंद्रीय मंत्री एवं तत्कालीन विधायक नरेंद्र सिंह तोमर ने यहां हरियाली की नीव रखी थी। दरअसल इस बेशकीमती जमीन पर भूमाफिया का कब्जा था, जिसे तत्कालीन कलेक्टर बसीम अख्तर द्वारा भूमि को अपने आधिपत्य में लेकर  हरितद्वार योजना के अंतर्गत लगभग दो सौ से ज्यादा पेड़ लगाए गए थे। शहर के बीचोंबीच वना यह उपवन  राष्ट्रीय पक्षी मौर, तीतर, बंदर और सरीसृपों का आसियाना बन गया है, या यूं कहें कि वर्तमान में विलुप्त प्रजातियों की शरण स्थली है। खुशी होती है ये देखकर कि 17 साल  पहले रौपे गए पौधे आज दरख्तों का आकार लेकर शहर के जहरीले वातावरण में अॉक्सीन प्रदान कर रहे हैं।  लेकिन अब उसी कांग्रेस सरकार के लोटने पर हरे भरे जंगल को जेसीबी से रोंद कर उखाड़ने की तैयारी कर ली है, खबर लिखे जाने तक तक आम, नीम, सीसम, पीपल, जामुन तमाम तरह के छोटे-बड़े लगभग 400 पेड़ो में से 40 पेड़ जड़ से उखाड़ कर नष्ट किए जा चुके हैं। 

     बच्चों की तरह पाला है राम खिलाड़ी ने

यदि राम खिलाड़ी के परिवार ने इन्हें बच्चों की तरह सींचा न होता तो लगभग 20 साल पहले हुए इस वृक्षारोपण का हस्र भी वहीं होता जो हरियाली के नाम पर अब तक लाखों पौधों के साथ होता आया है। वन विभाग द्वारा कराए गई इस रोपड़ी की देखभाल के लिए यहां पर 2002 से राम खिलाड़ी को चौकीदारी के लिए नियुक्त किया गया था। रामखिलाड़ी सिंह की मानें तो उन्होंने इन पेड़ों को अपने बच्चों की तरह पालापोसा और सेवा की है जब पहली बार जेसीबी ने पेड़ों को उखाड़ा तो एक पर्यावरण प्रेमी की पीड़ा झलक उठी, प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार जेसीबी द्वारा पेड़ो को नष्ट करते देख वह बेहोश हो गए। उन्होंने भरपूर विरोध किया लेकिन ठेकेदार ने सरकारी काम का हवाला देकर उन्हें धमका कर चुप करवा दिया, वहीं रहवासियों की बात करें तो वे भी इस मामले को लेकर काफी आक्रोशित नजर आए, लेकिन जंगल उजाड़ने पर तुले स्थानीय विधायक मुन्नालाल गोयल और प्रशासन के आगे किसीकी एक नहीं चल पा रही है। बहरहाल शहर के बीचोंबीच विशाल वृक्षों और हरियाली से अच्छादित इस जंगल को जेसीबी द्वारा उखाड़ कर नष्ट किया जाना जारी है लेकिन पर्यावरण संरक्षण और संतुलन की दुहाई देने वाले पर्यावरण प्रेमी इस उजड़ती ग्रीनरी को बचाने अब तक सामने नहीं आए, जो इसके औचित्य पर सरकार से सवाल कर सके अथवा पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वालों को रोक सके। यही नहीं इस रोपड़ी को लगाने वाले वन विभाग ने भी नष्ट होती हरियाली पर अपनी आंखे पूरी तरह से मूंद ली है। नष्ट हो रहे पेड़ों के बारे में सवाल पूछने पर इतना ही जबाव मिला कि हमारे द्वारा रोपड़ी करवाई गई थी इसके अलावा हमारा कोई हस्तक्षेप नहीं है। 

 

क्षेत्रिय निवर्तमान पार्षद दीक्षित ने उठाई आवाज 

संभ्रांत इलाके में शुमार वार्ड 24 के अंतर्गत आने वाले इस स्थान पर प्राकृतिक वातावरण होने के कारण यहां आसपास के लोग शुद्ध हवा लेने के लिए आते हैं। लोगों ने इस स्थान पर एक टेनिस कोर्ट भी बना रखा है जहां हर रोज लोग खेलते हैं। उसे इस तरह नष्ट किए जाने को लेकर निवर्तमान पार्षद दिनेश दीक्षित का कहना है कि विधायक गोयल विकास करना चाहते हैं तो हॉस्पिटल परिसर में पर्याप्त जगह है, सालों से खंडहर पड़ी पाटौर और पीडब्ल्यूडी क्वार्टरों के पीछे वाले स्थान को लेकर निर्माण किया जा सकता है। लेकिन वह तो मनमर्जी चलाकर अपनी ही सरकार द्वारा लगाए गए वृक्षों को नष्ट करने में लगे हैं। शायद उनकी नजर में यही विकास होगा। मैं अपने स्तर पर निवेदन कर चुका हूं यदि अब भी पेड़ों की कटाई बंद नहीं की गई तो मुझे हरियाली को बचाने के लिए एनजीटी और न्यायालय की शरण लेने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।