भाजपा में ऐतिहासिक स्वागत देख सिंधिया का छलका दर्द, मान-सम्मान को ठेस बर्दाश्त नहीं


सुनहरा संसार 


भाजपा में शामिल होने के बाद गुरुवार की शाम ज्योतिरादित्य सिंधिया पहली बार भोपाल पहुंचे। जहां उन्होंने नए परिवार में पहुंच कर खुलके अपनी पीड़ा बयां करते हुए कहा कि सिंधिया परिवार जनसेवा के लिए राजनीति करता है, मगर जब मान- सम्मान को चोट पहुंचती है तब शांत नहीं रहता । इस दौरान उन्होंने 1967 और 1990 के घटनाक्रम की भी याद दिलाई। 


 

सिंधिया का रोड़ शो शाम 5 बजे एयरपोर्ट से शुरू हुआ और 6.30 बजे भाजपा कार्यालय पहुंचा। यहां उन्होंने दीनदयाल उपाध्याय, कुशाभाऊ ठाकरे, राजमाता सिंधिया, अटल बिहारी वाजपेयी और माधवराव सिंधिया की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण किया। हवाई अड्डे से भाजपा कार्यालय तक सिंधिया का ऐतिहासिक स्वागत देखने लायक था। रास्ते और भाजपा कार्यालय में कार्यकर्ताओं के हुजूम और उत्साह को देखकर ऐसा लग रहा था मानो भाजपा लंबे समय से सिंधिया का भाजपा में आने का इंतजार कर रही थी। भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं में उमंग और उत्साह को देखकर मंच से सिंधिया ने कहा- आज मेरे लिए बहुत भावुक पल है, मैं अपने आप को सौभाग्यशाली समझता हूं कि नड्डा साहब, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी, गृहमंत्री अमित शाह के आशीर्वाद से इस परिवार के द्वार मेरे लिए खोले गए, शायद उनका कहना था कि मैरी अहमियत कांग्रेस ने बेशक नहीं समझी पर भाजपा काबिलियत का सम्मान किया है । उन्होंने कार्यकर्ताओं की ओर इशारा करते हुए कांग्रेस का नाम लिए बगैर कहा कि जिस संगठन और जिस परिवार में मैंने 20 साल बिताए, मेहनत-लगन-संकल्प और खून-पसीने की बूंद बहाई, उसे छोड़कर मैं खुद को आपको समर्पित कर रहा हूं। इस दौरान कांग्रेस छोड़ने का दर्द सिंधिया के चेहरे पर साफ झलक रहा था। 

सिंधिया ने कहा, कइयों का मकसद राजनीति होता है और कइयों का मकसद जनसेवा होता है। मैं गर्व से कह सकता हूं कि अटलजी रहे हों या नरेंद्र मोदीजी हों, चाहे सिंधिया परिवार की सदस्य मेरी दादी राजमाता विजयाराजे सिंधिया रही हों, या मेरे पूज्य पिताजी हों अथवा  मैं... हमारा लक्ष्य जनसेवा है, राजनीति उसका माध्यम भर है।
 
         विधाानसभ चुनाव को किया याद
सिंधिया ने कहा कि हमारा मकसद है राजनीति को  माध्यम बनाकर जनता की सेवा करना है, मेरा विश्वास है कि मैं सम्मान और पहचान के साथ आपके हृदय में स्थान बना सकूंगा तो अपने जीवन को सफल मानूंगा। उन्होंने शिवराज की ओर इशारा करते हुए कहा कि दिसंबर 2018 में मुकाबला हुआ था, लेकिन आज हम एक साथ हैं। दल अलग हो सकते हैं, राजनीतिक रंग अलग हो सकते हैं, मतभेद हो सकते हैं, लेकिन पक्ष और विपक्ष के बीच कभी मनभेद नहीं होना चाहिए। विपक्ष में बैठकर भी शिवराज सिंह जैसा समर्पित और जनता के प्रति सबकुछ न्योछावर करने वाला कार्यकर्ता इस देश और प्रदेश में बिरला ही होगा।

आपके दिल में जगह बनाना मेरा लक्ष्य: सिंधिया

अपने परिवार के सियासी सफर पर सिंधिया ने कहा, "जिस दल को पसीने और पूंजी के साथ मेरी दादी ने स्थापित किया। 36 साल की उम्र में पहली बार जनसेवा का लक्ष्य बनाकर मेरे पिताजी चले, आज उसी दल में ज्योतिरादित्य सिंधिया अपना दिल लेकर आया है। 


पूर्व नेताओं के साथ लगा माधवराव का फोटो 


भाजपा कार्यालय में राजमाता विजियाराजे सिंधिया की प्रतिमा के पास ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया का फोटो माल्यापर्ण के लिए रखा गया। इसी स्थान पर कुशाभाऊ ठाकरे और पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा लगी हुई है।