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सुनहरा संसार
मप्र की सियासत में सरकार को लेकर गंभीर स्थिति निर्मित हो गई है। कांग्रेस मे लंबे समय से उपेक्षित महसूस कर रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आज शाम पीएम से मुलाकात करके कांग्रेस सरकार के लिए भूचाल ला दिया है।
सोमवार को दिल्ली में चले घटनाक्रम में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कांग्रेस हाईकमान से मिलकर प्रदेश में चल रही राजनीतिक हलचल से अवगत कराया। इसी बीच एक खबर निकल कर आई कि पार्टी नेत्रत्व से नाराज सिंधिया समर्थक मंत्री और विधायकों का सरकार से संपर्क टूट गया तो मुख्यमंत्री को दिल्ली से तुरंत भोपाल आना पड़ा। हालांकि इसी बीच यह खबर भी आई कि डेमेज कंट्रोल रोकने के लिए सिंधिया को प्रदेशाध्यक्ष बनाने के लिए हाईकमान ने हरी झंडी दे दी है। लेकिन मुख्यमंत्री ने मीडिया के सामने सिंधिया के मामले में चुप्पी साध ली।
वहीं सिंधिया समर्थक विधायक और मंत्री चार्टर्ड प्लेन से बेंगलुरु पहुंच चुके हैं, तो मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अन्य मंत्रियों को भोपाल बुलाकर देर रात आपात बैठक की । उधर कांग्रेस हाईकमान ने रूठे सिंधिया को मनाने के लिए हर शर्त मानते हुए स्वयं फोन लगाकर सिंधिया को मनाने की कोशिश की तथा राजस्थान के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को जिम्मेदारी सौंपी है पायलट ने भी सिंधिया की सोनिया गांधी से बात कराई । लेकिन फिलहाल सिंधिया के तेवर नरम होते दिखाई नहीं दे रहे हैं। दरअसल ज्योतिरादित्य सिंधिया रविवार को सोनिया गांधी से मुलाकात के लिए उनके आवास पर पहुंचे थे लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष ने भेंट करने से इनकार कर दिया था जो ज्योतिरादित्य सिंधिया को नागवार गुजरी। सियासी घमासान के बीच यह भी कहा जा रहा है कि सिंधिया के समर्थन में अपने विधायकों के साथ कांग्रेस नेता अजय सिंह भी जा सकते है, अजय, अर्जुन सिंह के बेटे हैं।
सूत्रों की मानें तो भाजपा नेताओं ने सिंधिया को राज्यसभा भेजने पर सहमति दे दी थी लेकिन सिंधिया साथ में मंत्री पद और प्रदेश सरकार में अपने मंत्रियों को बाजिव स्थान चाहते हैं इसी को लेकर उन्होंने प्रधानमंत्री से मुलाकात की। इधर खबर आ रही है कि सरकार को बचाने के लिए सांसद विवेक तनखा अहम भूमिका में आ गए हैं, विवेक तनखा द्वारा मित्रता का लाभ लेते हुए सचिन पायलट के माध्यम से सिंधिया को मनाने के प्रयास किए जा रहे हैं जो फिलहाल साकार होते दिखाई दे रहे हैं । ज्ञात हो कि विवेक तनखा और सचिन पायलट के बीच पिता पुत्र तुल्य संबंध हैं।
वर्चस्व और जिद के कारण कांग्रेस के बिगड़े हालात
बमुश्किल 15 साल बाद सत्ता में आई कांग्रेस दिग्विजयी जिद की वजह से एक बार फिर सत्ता से दूर होती नजर आ रही है। यदि अगले 24 घंटों में कांग्रेस के सियासी हालातों में सुधार नहीं हुआ तो कमलनाथ सरकार का गिरना तय है। यदि कांग्रेस ने सिंधिया की चुप्पी पर गौर किया होता या फिर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के "अॉप्रेशन अंजाम" को गंभीरता से लिया होता तो ऐसे हालातों से बच सकती थी। लेकिन वर्तमान माहौल में कांग्रेस संगठन और सरकार में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की खिचड़ी ने न तो कार्यकर्ताओं की भावनाओं का सम्मान किया और न ही जनमत का, जिसकी वजह से कांग्रेस फिर से अतीत बनने के कगार पर जा पहुंची।