परिवहन उड़नदस्तों की सक्रियता के बगैर परिवहन माफियाओं पर लगाम असंभव


 

 

            सरकार को करोड़ों का राजस्व और जानमाल की हिफाजत के लिए जरूरी 

 

सुनहरा संसार 

मध्यप्रदेश में माफिया राज के खिलाफ मुख्यमंत्री की सख्ती के बाद प्रदेश में हर क्षेत्र और हर स्तर पर माफियाओं का बोलबाला सामने आ रहा है। ऐसे में इस बात इनकार नहीं किया जा सकता कि बिना प्रशासनिक मशीनरी के गठजोड़ के माफियाओं की पौवारह होती रही है।


परिवहन माफियाओं की बात करें तो परिवहन  के क्षेत्र में हाल के दिनों में प्रदेश के विभिन्न जिलों में परिवहन विभाग द्वारा की गई कार्रवाई में ही सैकड़ों वाहन किसी न किसी रूप में अवैध परिवहन करते पाए गए। पकड़े गए वाहनों से निश्चित रूप से सरकार को करोड़ों का फायदा होगा।

 

                 उम्मीद का आश्वासन 


परिवहन विभाग में परिवहन आयुक्त के रूप में वी मधु कुमार के आने बाद परिवहन माफियाओं पर लगाम कसने की काफी उम्मीदें हैं, हाल ही में सुनहरा संसार से हुई बातचीत में उन्होंने इस पर बहुत जल्द काम करने के संकेत भी दिए हैं। 

 

किंतु इतना भर पर्याप्त नहीं है इसके लिए सरकार को चाहिए कि परिवहन विभाग की फ्लाइंग टीमों को सक्रिय भूमिका में लाए। क्योंकि वर्तमान में परिवहन विभाग के जो भी उड़नदस्ते गठित हैं वह संभागीय स्तर पर हैं। इसके अलावा पिछले समय तक अधिकारियों की अपेक्षा कहें या उदासीनता, जिसके कारण उडनदस्ता दलों ने कुछ खास सक्रियता नहीं दिखाई। वहीं जिस तरह से ये दल गठित किए गए हैं उससे वास्तविक परिवहन माफियाओं तक पहुंच पाना मुश्किल है। मौजूदा समय की बात की जाए तो हाइवे पर बने परिवहन चेक पोस्टों पर मुख्य रूप से माल वाहक वाहनों पर ही फोकस किया जाता है, उस पर भी राजनीतिक संरक्षण और भ्रष्टाचार के आरोप के कारण तैनात अमला ऐसे लोगों पर लगाम लगाने से बचकर नोकरी बचाने की जुगत में लगा रहता है।

वहीं दूसरी ओर सबसे ज्यादा अवैध परिवहन के मामले ग्रामीण और राज्य स्तरीय मार्गों पर देखने को मिलते हैं, लेकिन ऐसे मार्गों पर परिवहन विभाग की टीम कभी कभार पहुंच जाए तो स्थानीय राजनीति उन्हें बिना कार्रवाई के वे रंग लोटने के लिए मजबूर कर देती है। हालांकि ऐसे मार्गों पर संचालित वाहनों पर कार्रवाई करने के अधिकार पुलिस को भी दिए गए हैं लेकिन वहां कैसी और क्या कार्रवाई होती है ये और बात है। जबकि प्रदेश के ज्यादातर जिलों में परिवहन माफियाओं द्वारा बेतरतीब और मनमाने ढंग से वाहनों का परिचालन धड़ल्ले से किया जा रहा है जिस पर अंकुश लगाना बेहद जरूरी है। किसी भी जिले के राज्य मार्ग पर नजर दौड़ाएं तो सवारियों से ठसाठस ओवरलोड यूटिलिटी, टेंपो और बसें लोगों के जीवन से खिलवाड़ करती देखने को मिल जाएंगी, इसके अलावा रेत और गिट्टी, पत्थरों से भरे वाहन फर्राटे मारते हैं।. 

ऐसे वाहनों की हकीकत तब सामने आती है जब ऐसे वाहन दुर्घटनाग्रस्त होते हैं।

माफियाओं द्वारा प्रदेश में इस तरह से किए जा रहे अवैध परिवहन से सरकारी खजाने को एक तरफ राजस्व तो दूसरी तरफ हादसे में होने वाली जानमाल की क्षति पर सरकार द्वारा मुआवजा इस तरह एक साथ दोतरफा नुकसान पहुंचाया जा रहा है। यदि पूर्व की तरह प्रदेश में फिर से आरटीओ स्तर पर उडनदस्ता तैयार करके राष्ट्रीय से लेकर राज्यस्तरीय और जिला मार्गों पर सघन चेकिंग शुरू की जाए तो न सिर्फ सरकार के खजाने में करोड़ों का इजाफा होगा बल्कि सैकड़ों लोगों को असमय मौत के मुंह में जाने से बचाने में भी बड़ी कामयाबी मिल सकती है। प्रदेश में इस तरह के माफियाओं की लंबी कतार है जिसमें प्रशासनिक मशीनरी और राजनीति में बैठे लोग भी शामिल हैं, जिसे तोड़ना मुश्किल तो है पर हाल में चल रही कार्रवाईयों को देख कर कहा जा सकता है कि जानमाल की चिंता करते हुए कमलनाथ सरकार इस पर अपना कमाल अवश्य दिखाएगी।