सियासी संग्राम - सिंधिया का मौन कांग्रेस के लिए हो सकता है घातक !


सुनहरा संसार 



मध्यप्रदेश। कांग्रेस विधायक हरदीप सिंह डंग द्वारा इस्तीफे के लेटर के तुरंत बाद बीजेपी के तीन विधायक देर रात मुख्यमंत्री निवास पहुंचे।  कमलनाथ ने मंत्रियों की उपस्थिति में उनके साथ बैठक की और  मंत्री जीतू पटवारी ने विक्टरी साइन दिखाते हुए जीत का इजहार किया। इससे लगता है कि बीजेपी द्वारा कांग्रेस के लिए बिछाई बिसात में अब वह खुद फस रही है लेकिन इन सब पर सिंधिया के मौन को कम आंकना कांग्रेस को भारी पड़ सकता है। 


एमपी की सियासत को लेकर भोपाल से दिल्ली तक चले मिडनाइट ड्रामे के बाद गुरूवार रात भाजपा के तीन विधायक शरद कौल, संजय पाठक और नारायण त्रिपाठी ने मुख्यमंत्री कमलनाथ से मुलाकात करके भाजपा के मंसूबों पर पानी फेर दिया। खबर तो यहां तक है कि मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी ने विधायकी से इस्तीफा दे दिया है, हालांकि उन्होंने इस्तीफा देने से अभी इंकार किया है। दावा तो यह भी किया जा रहा है कि यह तीनों विधायक आज कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं।  वहीं तीन विधायकों के पाला बदलने की खबर से हैरान भाजपा जो अब तक इस पूरे घटनाक्रम को कांग्रेस की अंतर कलह बता रही थी वह अब कांग्रेस पर उसके विधायक तोड़ने का आरोप लगा रही है। भाजपा प्रवक्ता हितेश वाजपेई ने एक निजी चैनल से बात करते हुए कहा कि यह टिट फॉर टैट की कार्रवाई है,  हमारी पार्टी इसकी कड़ी निन्दा करती है। जानकारी तो यह भी आ रही है कि जो चार विधायक बेंगलुरु में रखे गए हैं उनमें से विसाहूलाल के परिजनों थाने में गुमसुदगी दर्ज करा दी है।


वहीं बसपा विधायक संजीव सिंह कुशवाहा ने बंधक बनाए जाने की बात को खारिज करते हुए दिग्विजय सिंह और मंत्रियों पर पलटवार करते हुए कहा कि हमें बंधक बनाने की बात करने वाले ये बताएं कि यदि हम बंधक थे तो दिल्ली में जिस कमरे में आप लोग बंद थे वहां तक हम कैसे पहुंचे, बसपा से निष्कासित पथरिया विधायक ने कहा कि सच बोल नहीं सकती और झूठ बोलूंगी नहीं, इसलिए चुप ही रहूंगी। सूत्रों की मानें तो हॉर्स ट्रेडिंग का खेला गया खेल सफल हो जाता मगर विधायक के एक गनर की एक फोन कॉल ने सारा खेल बिगाड़ दिया।


अब जब भाजपा की चाल पर कांग्रेस ने पलटवार करते हुए उनके तीन विधायकों को अपनी ओर खींच लिया तो एक नई खबर सामने आ रही है, कि कांग्रेस में उपेक्षित चल रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने समर्थको के साथ भाजपा में शामिल हो सकते हैं, जहां सिंधिया को राज्यसभा से सांसद बनाकर केंद्रीय मंत्री बनाया जा सकता है। यदि ऐसा होता है तो कांग्रेस के लिए आत्मघाती साबित हो सकता है। सिंधिया समर्थक श्रम मंत्री महेंद्रसिंह सिसौदिया द्वारा सरकार पर संकट के सवाल पर दिया गया बयान भी कुछ इसी तरह का इशारा कर रहा है कि सरकार पर फिलहाल कोई संकट नहीं है, असली संकट तब आएगा जब हमारे नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की उपेक्षा या अनादर होगा। उन्होंने कहा कि उस दिन जो काला बादल छाएगा वो क्या कर जाएगा, मैं भी नहीं बता सकता।