राजा, महाराजा की बंद कमरे में मुलाकात को लेकर सियासी गलियारों में हलचल


सुनहरा संसार 


मध्यप्रदेश के सियासी माहौल में आज का दिन दिलचस्प मोड़ ले सकता है। इसकी वजह है धुर विरोधी कहे जाने वाले कांग्रेस के दिग्गज राजा और महाराजा की आज होने वाली मुलाकात। 


आज सोमवार की यह मुलाकात इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच चल रहे शीत युद्ध के बीच अचानक पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की ओर से  ज्योतिरादित्य सिंधिया से गुना में मुलाकात करने का कार्यक्रम निर्धारित किया गया है । जबकि सिंधिया के दौरा कार्यक्रम में इस मुलाकात का जिक्र ही नहीं है । शनिवार को जारी हुए दिग्विजय के दौरा कार्यक्रम के मुताबिक वे 24 फरवरी को दोपहर करीब एक बजे सिंधिया से मिलेंगे और दोनों नेताओं के बीच 45 मिनट तक बंद कमरे में चर्चा होगी। 
 लिहाजा सियासी गलियारों में इस मुलाकात के कई मायने निकाले जा रहे हैं। यह मुलाकात ऐसे समय में हो रही है जब सिंधिया और उनके समर्थकों द्वारा कमलनाथ  के खिलाफ खुलकर नाराजगी जाहिर की गई तथा सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरने की चेतावनी के अलावा " दौहरे पद" का भी आरोप लगाया गया है यहां तक कि अलग पार्टी बनाए जाने की मांग भी उठने लगी है। वहीं आज होने वाली बैठक पर सिंधिया ने भोपाल में कहा कि मुलाकात तो होती रहती है.समय होगा तो होगी मुलाकात नहीं तो दिल्ली में मिलेंगे। सिंधिया के इस अंदाज को देखकर कहा जा सकता है कि वह सरकार द्वारा की जा रही उपेक्षा और खास तौर से मुख्यमंत्री के पलटवार से बुरी तरह आहत हुए हैं। शायद इसी को देखते हुए सिंधिया को साधने के लिए कांग्रेस के चाणक्य दिग्गी राजा को धुर विरोधी होने के बाद भी महाराज को मनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। सिंधिया को साधना इसलिए भी जरूरी है कि आने वाले समय में विधानसभा की दो सीटों पर उपचुनाव और नगरीय निकाय चुनावों में कांग्रेस को अपनी बढ़त बरकरार रखना है। अब देखना यह है कि आज की मुलाकात तल्खी की बर्फ को पिघलाने में कितनी कारगर साबित होती है, और सियासतदानों के बीच बढ़ती दूरियां किस हद तक कम होती हैं। क्योंकि आज की इस खास मुलाकात को डैमेज कंट्रोल के रूप मेंं भी देखा जा रहा है। 
               सिंधिया ने फिर दौहराया
भोपाल पहुंचने पर सिंधिया कार्यकर्ताओं और मंत्रियों से मिले लेकिन मुख्यमंत्री से नहीं मिले। उन्होंने यहां कहा कि नई भूमिका में मैंने जनसेवा का रास्ता अख्तियार किया है। मैं पहले भी कह चुका हूं पांच साल में वचन पत्र को पूरा करना ही  होगा। वचन पत्र में जो बातें कही गई हैं उन्हें हर हाल में पूरा करना होगा। वहीं विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्ष को मैरी लड़ाई लड़ने की जरूरत नहीं मैं अपनी लड़ाई लड़ने में खुद सक्षम हूं। 
मकसद, राज्यसभा का मार्ग आसान बनाना तो नहीं 


एमपी में दो महीने बाद राज्यसभा की तीन सीट खाली हो रही हैं। प्रदेश में बदले सत्ता समीकरण के बाद कांग्रेस को दो और बीजेपी को एक सीट मिलना तय है। इन दो सीटों के लिए दिग्विजय सिंह और सिंधिया दोनों दावेदार हैं, लेकिन बीच में प्रियंका गांधी का नाम भी मप्र से राज्यसभा के लिए चलाया जा रहा है, जबकि तीन सीट में से कांग्रेस के हाथ दो ही सीटें आ सकती हैं।