कोरोना संक्रमण - लचर प्रशासनिक व्यवस्था में ग्रामीणों ने पेश की जागरुकता की मिशाल


सुनहरा संसार


                  12 घंटे बाद पहुँची मेडिकल टीम

 

राकेश कु .यादव

बछवाडा़ (बेगूसराय) 

 भारत ही नहीं समूचे विश्व में कोरोना कहर के प्रकोप से भयाक्रांत लोग अपने-अपने घरों में दुबके बैठे हैं | लेकिन लॉकडाउन रिलीफ में शहरी लोग इसे मजाक बना रहे हैं, वहीं सुदूर गांव-देहात के लोगों ने जागरुकता के साथ इसके संक्रमण से बचने के लिए अपनो को बिना जांच के घर मे लेने तक से साफ इनकार कर दिया  । 

 

कहते हैं शहरी लोगों की अपेक्षा देहाती लोग कम जागरुक होते हैं , लेकिन संक्रमण के बाद उपजे हालातों ने स्पष्ट कर दिया कि जिन ग्रामीणों को सभ्य कही जाने वाली आबादी दोयम दर्जे का आंकती है , वास्तव में जागरुकता के मामले वे शहरियों से कहीं ज्यादा जागरुक हैं |

 


  ऐसा ही मामला बिहार के बेगूसराय व समस्तीपुर के सीमा पर बसे गांव रसीदपुर गांव से सामने आया | वहां की भाषा में परदेश (कलकत्ता) से लौटे 18 लोगों को बिना जांच के गांव में प्रवेश पर रोक लगा दी। यह वाक्या उस समय हुआ जब मंगलवार की देर रात कलकत्ता से लौटे 18 लोगों से भरा ट्रक गांव के चौक पर रूका तो ग्रामीणों के कान खडे़ हो गये ।  लोगों ने बाहर निकल कर देखा तो काम पर बाहर गांव गए लोग घर लौटे थे | वे अपना सामान लेकर घरो की तरफ बढे़ तभी ग्रामीणों ने विरोध शुरू कर दिया , इसी कहासुनी की शोरशराबे को सुन अन्य ग्रामीण भी इकट्ठे हो गये और गांव में प्रवेश पर रोक लगाकर  प्रशासनिक अधिकारियों को संदिग्ध परदेसियों के आने की सूचना दे दी। मगर अधिकारियों नें सुबह होने पर जांच पड़ताल की बात कहकर कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखायी । इसके बाद भी ग्रामीणों नें हार नहीं मानीं । संक्रमण के प्रति जागरूकता दिखाते हुए उक्त कुल 18 परदेसियों को प्राथमिक विद्यालय चकदिलार में तत्काल शिफ्ट कर दिया । जहां ग्रामीण स्तर पर रहन-सहन व भोजन की व्यवस्था की जा रही है। हलांकि संदिग्ध परदेसियों के लिए प्रशासनिक तौर पर प्रखंड मुख्यालय स्थित आदर्श मध्यमिक विद्यालय नारेपुर को आइसोलेशन सेंटर के रूप में स्थापित किया गया है। मगर ग्रामीणों के सजगता से स्वस्थापित आइसोलेशन सेंटर के आगे प्रशासनिक तैयारी फिकी साबित हो रही है।